पूर्वी दिल्ली के एक संयुक्त परिवार में पली-बढ़ी लवलीन को बचपन से ही थियेटर में बैठ सैकडों लोगों के साथ फिल्में देखना अच्छा लगता है। लार्जर देन लाइफ के अनुभवों को पसंद करने वाली लवलीन को 'हम किसी से कम नही' पसंद है तो 'बंदिनी' और 'साहेब, बीवी और गुलाम' उनकी पसंदीदा फ़िल्म है।
सामाजिकता के ताने-बाने से ख़ुद को काफी नजदीक पाने वाली लवलीन को फ़िल्म 'बेंडिट क्वीन' इस कदर भायी कि उसने फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में दो-दो हाथ करने का निर्णय लिया। उसका मानना है कि बैंडिट क्वीन यथार्थ से जुड़े मुद्दे पर बनी फ़िल्म थी और वह ऐसी ही फिल्मों के निर्माण से जुड़ना चाहती है। यही कारण रहा कि वह 'स्लमडाग मिलिनेयर ' के निर्माण से जुडी क्योंकि कहीं न कहीं यह लोगो को यथार्थ से रूबरू कराता है।
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good information
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